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भारतीय संविधान के अंतर्गत हिंदी भाषा के प्रावधान

Author: RS Law Classes, Published: November 26, 2020
भारतीय संविधान के अंतर्गत हिंदी भाषा के प्रावधान भारतीय संविधान के अंतर्गत हिंदी भाषा के संबंध में प्रावधान अध्याय 17 अनुच्छेद 343 से 351 तक तथा अनुसूची 8 में दिए गए हैं। आठवीं अनुसूची संविधान के अनुच्छेद 344 (1) और 351 से संबंधित है। इस अनुसूची में मूल संविधान के निर्माण के समय 14 भाषाओं को शामिल किया गया था वर्तमान में इसमें 22 भाषाएं शामिल है 14 भाषाओं के अंतर्गत असमिया, बंगला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगू, उर्दू भाषाओं को शामिल किया गया। 15 वी के रूप में सिंधी को जोड़ा गया जो 21 से संविधान संशोधन अधिनियम 1967 (10/4/1967) के द्वारा जोड़ा गया। 16वीं 17वीं और 18वीं भाषा के रूप में कोकणी मणिपुरी और नेपाली 3 भाषाओं को जोड़ा गया जो 71 वा संविधान संशोधन अधिनियम 1992 (31/8/1992) के द्वारा जोड़ा गया। तत्पश्चात 92 वां संविधान संशोधन अधिनियम 2003 (7/1/2004) के द्वारा 4 भाषाओं को शामिल किया गया जो बोडो डोंगरी संथाली और मैथिली है। इस प्रकार आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को जोड़ा गया। आठवीं अनुसूची के अंतर्गत अंग्रेजी भाषा का उल्लेख नहीं है। 96 वा संविधान संशोधन अधिनियम 2011 (23 सितंबर 2011) को उड़िया भाषा का नाम बदलकर ओडिया कर दिया गया। भारतीय संविधान के प्रमुख अनुच्छेद 343 से लेकर 351 तक हिंदी भाषा के प्रयोग के संबंध में प्रावधान दिए गए हैं। इसी के साथ राजभाषा आयोग और राजभाषा समिति संबंधी प्रावधान भी बताए गए हैं अनुच्छेद 343 से 351 तक की विस्तृत विवेचना इस प्रकार है:- भाग 17 राजभाषा अध्याय 1 – संघ की भाषा 343. संघ की राजभाषा – (1) संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी । संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा । (2) खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से 15 वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था : परन्तु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिन्दी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा । (3) इस अनुच्छेद म किसी बात के होतेते हुए भी, संसद् उक्त 15 वर्ष की अवधि के पश्चात, विधि द्वारा – (क) अंग्रेजी भाषा का, या (ख) अंकों के देवनागरी रूप का, ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट की जाएं । 344. राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद् की समिति – (1) राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से पांच वर्ष की समाप्ति पर और तत्पश्चात ऐसे प्रारंभ से दस वर्ष की समाप्ति पर, आदेश द्वारा, एक आयोग गठित करेगा जो एक अध्यक्ष और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट विभिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा जिनको राष्ट्रपति नियुक्त करे और आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रकिया परिनिश्चित की जाएगी । (2) आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को – (क) संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग, (ख) संघ के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर निर्बंधनो, (ग) अनच्छद 348 में उल्लिखित सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा, (घ) संघ के किसी एक या अधिक विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने वाले अंकों के रूप, (ङ) संघ की राजभाषा तथा संघ और किसी राज्य के बीच या एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच पत्रादि की भाषा और उनके प्रयोग के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्देशित किए गए किसी अन्य विषय के बारे में सिफारिश करें। (3) खंड (2) के अधीन अपनी सिफारिशें करने में, आयोग भारत की औद्योगिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उन्नति का और लोक सेवाओं के संबंध में अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के व्यक्तियों के न्यायसंगत दावों और हितों का सम्यक ध्यान रखेगा । (4) एक समिति गठित की जाएगी जो तीस सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें से बीस लोक सभा के सदस्य होगे और दस राज्य सभा के सदस्य होगे जो क्रमशः लोक सभा के सदस्यों और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे (5) समिति का यह कर्तव्य होगा कि वह खंड (1) के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों की परीक्षा करें और राष्ट्रपति को उन पर अपनी राय के बारे में प्रतिवेदन दें। (6) अनुच्छेद 342 में किसी बात के होते हुए भी राष्ट्रपति खंड (5) में निर्दिष्ट प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात उस संपूर्ण प्रतिवेदन के या उसके किसी भाग के अनुसार निर्देश दे सकेगा। 345. राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं – अनुच्छेद 346 और अनुच्छेद 347 के उपवन 2 के अधीन रहते हुए किसी राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा उस राज्य में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को या हिंदी को उस राज्य के सभी या कि नहीं शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा या भाषाओं के रूप में अंगीकार कर सकेगा। परंतु जब तक राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध ना करें तब तक राज्य के भीतर उन शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था। 346. एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा- संघ में शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने के लिए तत समय प्राधिकृत भाषा एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच तथा किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा होगी परंतु यदि दो या अधिक राज्य यह करार करते हैं कि उन राज्यों के बीच पत्रादि की राजभाषा हिंदी भाषा होगी तो ऐसे पत्र आदि के लिए उस भाषा का प्रयोग किया जा सकेगा। 347. किसी राज्य की जनसंख्या के किसी अनुभाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध- यदि इस निमित्त मांग किए जाने पर राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि किसी राज्य की जनसंख्या का पर्याप्त भाग यहां जाता है कि उसके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राज्य द्वारा मान्यता दी जाए तो वह निर्देश दे सकेगा कि ऐसी भाषा को भी उस राज्य में सर्वत्र या उसके किसी भाग में ऐसे प्रयोजनों के लिए जो वह विनिर्दिष्ट करें शासकीय मान्यता दी जाए। अध्याय 3 उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय आदि की भाषा 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियम ओ विधि को आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा- (1) इस भाग के पूर्व गमी उप बंधुओं में किसी बात के होते हुए भी जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध ना करे तब तक – (क) उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही या अंग्रेजी भाषा में होगी (ख) (i) संसद् के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान मंडल के सदस्य प्रत्येक सदन में पुनर स्थापित किए जाने वाले सभी विधायकों या प्रस्तावित किए जाने वाले सभी संशोधनों के (ii) संसद् या किसी राज्य के विधान मंडल द्वारा पारित सभी अधिनियम ओके और राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित सभी अध्यादेशों के और (iii) इस संविधान के अधीन अथवा संसद या किसी राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाए गए किसी विधि के अध्ययन निकाले गए या बनाए गए सभी आदेशों नियमों व नियमों और उप विधियों के प्राधिकृत पाठ अंग्रेजी भाषा में होंगे। (2) खंड (1) के उपखंड (क) में किसी बात के होते हुए भी किसी राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उच्च न्यायालय की कार्यवाही ओं में जिसका मुख्य स्थान उस राज्य में है हिंदी भाषा का या उस राज्य के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली अन्य भाषा का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा। परंतु इस खंड की कोई बात ऐसे उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए किसी निर्णय डिक्री या आदेशों को लागू नहीं होगी। (3) खंड (1) के उपखंड (ख) में किसी बात के होते हुए भी जहां किसी राज्य के विधान मंडल ने उस विधानमंडल में पुनर्स्थापित विधायकों में या उसके द्वारा पारित अधिनियम में अथवा उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित आदेशों में अथवा उस उपखंड के पैरा तीन में निर्दिष्ट किसी आदेश नियम विनियम या उपविधि के प्रयोग के लिए अंग्रेजी भाषा से बिना कोई भाषा होती है वहां उस राज्य के राजपत्र में उस राज्य के राज्यपाल के प्राधिकार से प्रकाशित अंग्रेजी भाषा में उसका अनुवाद इस अनुच्छेद के अधीन उसका अंग्रेजी में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा। 349. भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया- इस संविधान के प्रारंभ से 15 वर्ष की अवधि के दौरान अनुच्छेद 348 के खंड (1) में उल्लिखित किसी प्रयोजन के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा के लिए उपबंध करने वाला कोई विदेशिया संशोधन संसद के किसी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना पुनर्स्थापित यह प्रस्तावित नहीं किया जाएगा और राष्ट्रपति किसी ऐसे विधायक को पुनर्स्थापित या किसी ऐसे संशोधन को प्रस्तावित किए जाने की मंजूरी अनुच्छेद 344 के खंड (1) के अधीन गठित आयोग की सिफारिश पर और उस अनुच्छेद के खंड (4) के अधीन गठित समिति के प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात ही देगा अन्यथा नहीं। अध्याय 4 विशेष निर्देश 350. व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा- प्रत्येक व्यक्ति किसी व्यथा के निवारण के लिए संज्ञा राज्य के किसी अधिकारी या प्राधिकारी को यथास्थिति संघ में या राज्य में प्रयोग होने वाली किसी भाषा में अभ्यावेदन देने का हकदार होगा। 350क. प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं- प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर प्रतीक स्थानीय प्राधिकारी भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा और राष्ट्रपति किसी राज्य को ऐसे निर्देश दे सकेगा जो वह ऐसी सुविधाओं का उपबंध सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक या उचित समझता है। 350ख. भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी- (1) भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए एक विशेष अधिकारी होगा जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करेगा। (2) विशेष अधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह इस संविधान के अधीन भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए बंधित रक्षा उपाय से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण करें और उन विषयों के संबंध में ऐसे अंतराल ऊपर जो राष्ट्रपति निर्दिष्ट करें राष्ट्रपति को प्रतिवेदन दें और राष्ट्रपति ऐसे सभी प्रतिवेदन ओं को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रख पाएगा और संबंधित राज्यों की सरकारों को भिजवा आएगा। 351. हिन्दी भाषा के विकास के लिए निर्देश- संघ का कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाएं उसका विकास करें जिससे वह भारत की सामाजिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त स्वरूप शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक यावल छलिया हो वहां उसके शब्द भंडार के लिए मुख्यता संस्कृत से और गौंण अन्य भाषाओं से ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करें। हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में 14 सितंबर 1949 को स्वीकार किया गया। इसी स्मृति को ताजा रखने के लिए 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है। राजभाषा अधिनियम सन 1963 में बना जबकि राजभाषा नियम 1976 में बनाए गए। राजभाषा आयोग 1955 अनुच्छेद 344 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को श्री बीजी खेर की अध्यक्षता में राजभाषा आयोग का गठन किया गया। आयोग में एक अध्यक्ष और 22 सदस्य होते हैं 22 सदस्य 22 भाषाओं से संबंधित होते हैं। राजभाषा समिति राजभाषा अधिनियम 1963 के अनुसार राजभाषा समिति का गठन 1976 में किया गया राजभाषा के क्षेत्र में जहां सर्वोच्च अधिकार प्राप्त समिति है यह समिति केंद्र सरकार के अधीन आने वाले सभी संस्थानों का समय-समय पर निरीक्षण करती है और इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करते हैं राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के प्रत्येक सदन में रख पाते हैं और राज्यों को भिजवा ते हैं राजभाषा समिति में लोकसभा के 20 सदस्य तथा राज्यसभा के 10 सदस्य होते हैं जिन्हें एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के द्वारा चुना जाता है।